Holi Milan Fag Utsav

*संगीत के सात सुर जब इंद्रधनुष के सात रंगों से मिलते हैं तो जो समां बनता है उसे ही फ़ाग कहते है*और निःसंधेय ही १८ मार्च की शाम जो RCIP के *फ़ाग उत्सव* में समां बंधा वह *अवर्णनीय* था और शायद ही उसे भूल पाना संभव हो। *100* से अधिक *सदस्य परिवारों* की उपस्थिति अपने आप में कार्यक्रम की सफलता की परिचायक है। हम आभारी हैं गोपाल व्यासजी, कबराजी व् उनकी मंडली के जिन्होंने अपने मधुर गीतों से मनमोहक समां बाँधा और सभी को परम आनंद की भवसागर में गोते लगवाये। कार्यक्रम के संचालक टोनीजी व् प्रिया भाभी का विशेष धन्यवाद्, सभी भाभियों और बच्चों का कार्यक्रम में सहयोग करने के लिए विशेष आभार। कुल मिलाकर *एक आनंदमयी व् न भूल पानेवाला उत्सव* । *बोलो कृष्ण कन्हैया लाल की जय* *राधा रानी सरकार की जय* *एक दुसरे के माता पिता की जय* *आज के परम आनंद की जय* *रोटरी व् भारत माता की जय* ... पुनः एक बार आभार।