मित्रो,
आज *वसंत पंचमी* है, इस दिन हिन्दू कैलेंडर के अनुसार शरद ऋतू का समापन होकर *ऋतुराज बसंत* का आगमन होता है। अनादिकाल से यह दिन की शुरुआत विद्या व् कला की देवी सरस्वती पूजा से की जाती है।
आज *वसंत पंचमी* है, इस दिन हिन्दू कैलेंडर के अनुसार शरद ऋतू का समापन होकर *ऋतुराज बसंत* का आगमन होता है। अनादिकाल से यह दिन की शुरुआत विद्या व् कला की देवी सरस्वती पूजा से की जाती है।
*हे शारदे माँ हे शारदे माँ*
*अज्ञानता से हमे तार दे माँ।*
माता सरस्वती विद्या, बुद्धि, ज्ञान, कला एवं संगीत की देवी कही जाती हैं। यह श्वेत वस्त्र धारण करती है। इनका वाहन हंस हैं। सरस्वती के एक मुख, चार हाथ हैं इनके हाथों में वीणा, पुस्तक, कमल एवम माला हैं। भारत में कोई भी शैक्षणिक कार्य के पहले इनकी पूजा की जाती हैं। माँ सरस्वती ब्रह्मा जी की अर्धागनी कहलाती हैं, जिन्होंने श्रृष्टि की रचना की और उसी सुंदर श्रृष्टि में देवी सरस्वती ने ज्ञान, कला एवम सभ्यता का विकास किया।
यही सन्देश कदवाली स्कूल के बच्चों ने दिया अपनी वंदना में।